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खेल वो बचपन के कहीं खो गए हैं,अब हम बड़े हो गए हैं

खेल वो बचपन के कहीं खो गए हैं,अब हम बड़े हो गए हैं..
वो नादान बचपन कितना प्यारा था,जब मेरी चोट पर मॉ ने फूंक हलके से मारा था,
वो पानी में जहाज़ हम चलाते थे,लाईट जो न आए तो सब बच्चे मिलकर शोर मचाते थे,
खेल वो छुप्पन छुपाई,पकड़म पकड़ाई,कटी पतंग सब कहीं खो गए हैं,देखो मोबाईल चलाते आजकल के बच्चे भी अब बड़े हो गए हैं
वो मम्मी से मार खाकर भी छुपकर दोस्तों के घर जाया करते थे,जो देखले मईया,तो न चलने वाले नादान बहाने बनाया करते थे,
रातों को छतों पर सोना,तारों को गिनना और बादलों के भूत बनाना आज भी याद आता है,आज की जनरेशन को ये मोबाइल बचपन से दूर ले जाता है
खेल वो बचपन के कहीं खो गए हैं,अब हम बड़े हो गए हैं..

 #खेल#बचपन#खो#गए 
#nojoto
#poetry
खेल वो बचपन के कहीं खो गए हैं,अब हम बड़े हो गए हैं..
वो नादान बचपन कितना प्यारा था,जब मेरी चोट पर मॉ ने फूंक हलके से मारा था,
वो पानी में जहाज़ हम चलाते थे,लाईट जो न आए तो सब बच्चे मिलकर शोर मचाते थे,
खेल वो छुप्पन छुपाई,पकड़म पकड़ाई,कटी पतंग सब कहीं खो गए हैं,देखो मोबाईल चलाते आजकल के बच्चे भी अब बड़े हो गए हैं
वो मम्मी से मार खाकर भी छुपकर दोस्तों के घर जाया करते थे,जो देखले मईया,तो न चलने वाले नादान बहाने बनाया करते थे,
रातों को छतों पर सोना,तारों को गिनना और बादलों के भूत बनाना आज भी याद आता है,आज की जनरेशन को ये मोबाइल बचपन से दूर ले जाता है
खेल वो बचपन के कहीं खो गए हैं,अब हम बड़े हो गए हैं..

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