बेशक तू मेरी मुखालफत कर गैर से बहकर। मैं फिर भी तेरा बेहतर करुँ तुझे अपना समझकर। आज नाराज है तू मुझसे मुँह फेरकर। कल यकीनन दिल दे के जाएगा बैठा है जो आज मेरे दिल की दिल्ली घेरकर। चाहे तू मेरी मुखालफत कर गैर से बहकर। बी डी शर्मा चण्डीगढ़ मुखालफत