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हर रोज दोराहे पर ठहरती है जिंदगी कभी पहले कभी दुसर

हर रोज दोराहे पर ठहरती है जिंदगी
कभी पहले कभी दुसरे पर चलती है जिंदगी
सवाल उलझन जवाब निराशा 
हर रोज इनके बीच गुजरती है जिंदगी
दरख्तों मे पक्षियों ने घोषले बनाना छोड दिया
ये मौत के शहर मे बसर करती हैं जिंदगी
जबसे गाँव मे आयी हैं पढ़ी लिखी दुल्हनें
गाँव के पनघट से कहाँ गुजरती है जिंदगी
ये सवाल तेरा है जवाब भी तु ही जाने
अपनी तो बस गमो मे उलझी है जिंदगी
राजीव मिश्रा"समन्दर #NojotoQuote Satyaprem Future Novelist Neha Kar Disha Patel Shivansh Mishra Anant
हर रोज दोराहे पर ठहरती है जिंदगी
कभी पहले कभी दुसरे पर चलती है जिंदगी
सवाल उलझन जवाब निराशा 
हर रोज इनके बीच गुजरती है जिंदगी
दरख्तों मे पक्षियों ने घोषले बनाना छोड दिया
ये मौत के शहर मे बसर करती हैं जिंदगी
जबसे गाँव मे आयी हैं पढ़ी लिखी दुल्हनें
गाँव के पनघट से कहाँ गुजरती है जिंदगी
ये सवाल तेरा है जवाब भी तु ही जाने
अपनी तो बस गमो मे उलझी है जिंदगी
राजीव मिश्रा"समन्दर #NojotoQuote Satyaprem Future Novelist Neha Kar Disha Patel Shivansh Mishra Anant