हर रोज दोराहे पर ठहरती है जिंदगी कभी पहले कभी दुसरे पर चलती है जिंदगी सवाल उलझन जवाब निराशा हर रोज इनके बीच गुजरती है जिंदगी दरख्तों मे पक्षियों ने घोषले बनाना छोड दिया ये मौत के शहर मे बसर करती हैं जिंदगी जबसे गाँव मे आयी हैं पढ़ी लिखी दुल्हनें गाँव के पनघट से कहाँ गुजरती है जिंदगी ये सवाल तेरा है जवाब भी तु ही जाने अपनी तो बस गमो मे उलझी है जिंदगी राजीव मिश्रा"समन्दर #NojotoQuote Shivansh Mishra Anant