बचपन की जिंदगी
मुझे बचपन की जिंदगी फिर से जीनी है
फिर से शैतानी करके मां से मार खानी है
नंगे पैर चिलचिलाती धूप और कीचड़ भरे रास्तों में फिर से दौड़ना है
पापा के बुलाने की आवाजों को अनसुना कर के फिर से दौड़ जाना है
शाम को घर आने पर पापा की मार खानी है
मुझे बचपन की जिंदगी को फिर से जीना है पापा की मार के बाद का मां का दुलार फिर से पाना है
मुझे बचपन की जिंदगी को फिर से जीना है