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मैं एक अरसे से प्यासा हूँ मुझे बादल नहीं मिलता ग़री

मैं एक अरसे से प्यासा हूँ मुझे बादल नहीं मिलता
ग़रीबों को जिस तरह ठंड में  कम्बल नहीं मिलता
मुझे किस्मत ने थप्पड़ पे कई थप्पड़ जड़े हैं पर
मैं चाहूँ भी अग़र अपनों से तो सम्बल नहीं मिलता

--प्रशान्त मिश्रा सम्बल नहीं मिलता
मैं एक अरसे से प्यासा हूँ मुझे बादल नहीं मिलता
ग़रीबों को जिस तरह ठंड में  कम्बल नहीं मिलता
मुझे किस्मत ने थप्पड़ पे कई थप्पड़ जड़े हैं पर
मैं चाहूँ भी अग़र अपनों से तो सम्बल नहीं मिलता

--प्रशान्त मिश्रा सम्बल नहीं मिलता

सम्बल नहीं मिलता