जिंदगी ने जिंदगी का कर दिया है रक्तपात, करते हैं सदा यहां अपने ही अपनों पे घात. मंज़िल पर बढ़ाने की करेंगे बातें बड़ी बड़ी, होगी पास मंज़िल तो खीचेंगे बड़ा के हाथ। लूटना एक दूसरे को होगयी है फितरत अब, बदलते इन्सानों को देख हैरान है कायनात। कपट के बल पर हो रहे हैं ऊंचे महल खड़े, सच्चाई के दामन का तो होगया सत्यानाश। शिक्षा के नाम पर चल रहे अज्ञान के धन्धे, अनपढ़ बैठा,किये जा रहा दो और दो पाँच। इलाज भी हकीमों से अब यहां पे होता नही, पैसे के लालच ने कर दी है ज़िंदा चीर फाड़। मेहनत मजदूरी का नही रहा कुछ भी मोल,, कोड़ियों के दाम निकलती है दिन और रात। हक़ ऊसूल हो गए बेचैन अंधकार में अन्धे,, संस्कार रो रहे कर के कलयुग से मुलाक़ात। चंद सिक्के लेकर काटने आजाती भीड़,क्या बचेगा मुल्क सियासत करती जहां वारदात। तबाही ही तबाही होगयी है अमन हर तरफ, धर्म के नाम पर होती है बड़ी बड़ी करामात। छोड़ दी अब जीने की राह मोहब्बत हारकर, दिल लगाकर लोग करते यहां सिर्फ पक्षपात। ©aman6.1 #पक्षपात ✍️written by me✍️6.1aman🇮🇳 #nojotoapp #hindipoetry #punjabipoetry#urdupoetry#marathipoetry#rap# #WForWriters manishadwivedi komal sindhe Riti Singh Sujata jha selin khokhriya Aimming gamers Vishesh Shakya Mr. Raj Navodayan Amy The poetry poet pari srivastava