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सर चढ़ कर जो बोल रहा था वो नशा धीरे धीरे उतर रहा थ

सर चढ़ कर जो बोल रहा था वो नशा धीरे धीरे उतर रहा था जिस भ्रम मे हम जी रहे थे
 कुछ धुंधला सा अब वो दिखाई दे रहा था
 हमारी आंखों मे आंसु देख कर जिसकी आखें भर आती थी आज वहीं चेहरा हमे रूला रहा था
 धीरे धीरे पर अब वो अपनी हकीकत बता रहा था 
शायद आज वो भ्रम से पर्दा हटा रहा था

©S P पहला प्यार पहली बार

#fourlinepoetry
सर चढ़ कर जो बोल रहा था वो नशा धीरे धीरे उतर रहा था जिस भ्रम मे हम जी रहे थे
 कुछ धुंधला सा अब वो दिखाई दे रहा था
 हमारी आंखों मे आंसु देख कर जिसकी आखें भर आती थी आज वहीं चेहरा हमे रूला रहा था
 धीरे धीरे पर अब वो अपनी हकीकत बता रहा था 
शायद आज वो भ्रम से पर्दा हटा रहा था

©S P पहला प्यार पहली बार

#fourlinepoetry
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simanil

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पहला प्यार पहली बार #fourlinepoetry