ना जान थी ना पहचान थी, मैं तो बस इक मेहमान थी, ना शब्द थे ना अनुभूति, फिर भी महान थी, किसे पता था क्या होगा, पर सब जानते हुए भी अंजान थी, किसी ने कद्र की, किसी ने अनसुना, तब कहाँ किसी पर मन बना, ना किसी की सुध थी मुझे, मैं तो खुद से ही परेशान थी... #yqdidi #relation #yqhindi #poetry #guest #world #self #words