हर पल हर शाम तुम्हारा इंतज़ार करती हूँ, तुम तो जानते भी नहीं की तुमसे कितना प्यार करती हूँ, तुम्हारी एक खुशी के लिए अपनी रातें कुर्बान करती हूँ अपने सपनो में सिर्फ और सिर्फ तुम्हारा दीदार करती हूँ, तुम्हारे खातिर मैं बीमारी मे भी सोलह श्रृंगार करती हूँ, तुम तो जानते भी नहीं की तुमसे कितना प्यार करती हूँ.... तुम्हारे जूतो को अपने चेहरे से भी ज्यादा चमकाती हूँ, तुम्हारे घर आते ही तुम्हारा पसंदीदा खाना भी बनाती हूँ, तुम्हारे दिए ज़ख्मों पर अपने प्यार का मरहम लगाती हूँ, तुम से पहले खुद मरने की दुआ करती हूँ, क्या तुम जानते भी हो की तुमसे कितना प्यार करती हूँ... तुमसे कितना प्यार करती हूँ...