धुंधला गई हैं उस शक्स की लकीरें तुम्हारा जीवन संवारने में , झुर्रिया पड़ गई हैं साहब बूढ़े होते पिता की हथेलियों पर तुम्हारी हथेलियों को इतना मजबूत बनाने में,,,,!!!!!!! ज़िन्दगी