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अपने जब पराये हो जाते हैं, कुछ आँसू आँख से छलक जात

अपने जब पराये हो जाते हैं, कुछ आँसू आँख से छलक जाते हैं, 
एक पीर सी भर जाती है मन के अन्दर, 
कहीं कुछ तो टूटता है कहीं अन्दर, 
जो किसी को दिखाई नहीं देता।।

#अंकित सारस्वत# #अपने पराये
अपने जब पराये हो जाते हैं, कुछ आँसू आँख से छलक जाते हैं, 
एक पीर सी भर जाती है मन के अन्दर, 
कहीं कुछ तो टूटता है कहीं अन्दर, 
जो किसी को दिखाई नहीं देता।।

#अंकित सारस्वत# #अपने पराये