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बोलती अगर सारी झुर्रियां तो हर चेहरा क़िताब होता। ह

बोलती अगर सारी झुर्रियां
तो हर चेहरा क़िताब होता।
होते अगर सब सुधरे हुए तो
दुनिया मे नही कोई पाप होता।
सब नकाब डाले फिरते है चेहरे पर
वरना बराबर सबका हिसाब होता।
      #प्रांजल यादव#
बोलती अगर सारी झुर्रियां
तो हर चेहरा क़िताब होता।
होते अगर सब सुधरे हुए तो
दुनिया मे नही कोई पाप होता।
सब नकाब डाले फिरते है चेहरे पर
वरना बराबर सबका हिसाब होता।
      #प्रांजल यादव#