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मुझे हार भी हार है, मैं निरन्तर

मुझे हार भी हार है, 
                  मैं निरन्तर विजय गीत गाता चला जा रहा हूँ
शिला श्रृंग पग पग चुभे जा रहे,
किन्तु मैं मुस्कुराता चला जा रहा हूँ।।
।।नरेन्द्र कुमार।। एक दार्शनिक की पंक्तियाँ
मुझे हार भी हार है, 
                  मैं निरन्तर विजय गीत गाता चला जा रहा हूँ
शिला श्रृंग पग पग चुभे जा रहे,
किन्तु मैं मुस्कुराता चला जा रहा हूँ।।
।।नरेन्द्र कुमार।। एक दार्शनिक की पंक्तियाँ