अपने-पराये अपने पराये जैसा कुछ नहीं है यारों हम सभी एक ईश्वर के बच्चे हैं 🙂 ये मत सोचो की हम या तुम बुरे हैं , नहीं ! बस थोडे से भटके हैं ! सबके पास एक बहुत प्यारा संस्कार है, जिसका नाम प्यार है पर न जाने क्यों इतना भटकाव है , इंसानो से ही इंसानो का टकराव है इसिलिये इतना बिखराव है! इंसानो की इंसानियत पर छाया अंधकार है! रुढियों में जकडा ये संसार है