दिखी हर रोज़ वो सूरत परछाई बनकर आरज़ू बैठी थी रस्तों पर ख़ुदाई बनकर किए टुकड़े और महंगी वफ़ा में बांट दिए मिली हर चीज़ मुझे अपनी पराई बनकर #परछाईं #वत्स #vatsa #dsvatsa #illiteratepoet #vatsapoet #hindishayari