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चाय और चौपाल शहर आकर छूट सी गयी है, जिंदगी फिर से

चाय और चौपाल शहर आकर छूट सी गयी है, जिंदगी फिर से जीते हैं,

चल आज गांव की चौपाल पर चाय पीते हैं,
चल आज गांव की चौपाल पर चाय पीते हैं,

कंचे, पिट्ठू के वो खेल जो बचपन में खेले हैं,
याद आया है सावन, याद आये मेले हैं,
 याद आये हैं वो दिन जो पीपल के नीचे  बीते हैं ,

चल आज गांव की चौपाल पर चाय पीते हैं,
चल आज गांव की चौपाल पर चाय पीते हैं..... #Gav, #Chai ,#Bachpan, #Sharif , #Shayari
चाय और चौपाल शहर आकर छूट सी गयी है, जिंदगी फिर से जीते हैं,

चल आज गांव की चौपाल पर चाय पीते हैं,
चल आज गांव की चौपाल पर चाय पीते हैं,

कंचे, पिट्ठू के वो खेल जो बचपन में खेले हैं,
याद आया है सावन, याद आये मेले हैं,
 याद आये हैं वो दिन जो पीपल के नीचे  बीते हैं ,

चल आज गांव की चौपाल पर चाय पीते हैं,
चल आज गांव की चौपाल पर चाय पीते हैं..... #Gav, #Chai ,#Bachpan, #Sharif , #Shayari