पल्लव की डायरी हँसी खुशी राजी खुशी अब चिंताओं में सिमट गयी दौलतों की खुमारी समस्याओं की दीवार खड़ी कर गयी हर रिश्तो में लालच घर घर मे टूटन पैदा कर गयी खेलते एक दूसरे की जिंदगी से मिटाने की हसरते पालने लगे तख्त ताज नवाजे जिनको वे मुल्क में खुद समस्या बनने लगे भावनाओ का उठाके ज्वार इंसानियत को कुचलने लगे महँगाई का लाके दौर गरीबी बढ़ाने का प्रक्रम करने लगे संवेदनाये चढ़ी खूंटी पर अब वे मानवता तार तार करने लगे प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" संवेदनाये चढ़ी खूंटी पर #alone