चाँद से कह दो इतराना छोड़ दे, आ जाये मेरी बाँहो में शर्माना छोड़ दे, बहुत चाहत हैं उसे पाने की , चाँद से कह दो, यूँ इस तरह रिझाना छोड़ दे, वर्षों की तपस्या थीं, पसीना और खून बहा के, उसे सिद्धत से पाना चाहा था, चन्द मिंटो की दूरी थी, उसकी झलक के लिए मैं तरस गया था, चाँद से कह दो ज़िद करना छोड़ दे, क़दर करें मेरी चाहत की , ऐसे सताना छोड़ दे, जब ज़िद कर लिया हैं उसे पाने की, जो भी बाधायें आयेंगी उसे झेल जाऊँगा, इस बार चूक गया तो क्या हुआ, फ़िर से मैं उस तक आऊँगा, चाँद से कह दो मुझें आजमाना छोड़ दे।।। उसकी ज़िद को तोड़, उसे छू के ही चैन पाऊँगा।।। #chandrayan-2