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मानुष को अभिमान कैसा! रास्ता एक ही है चाहे तुम

मानुष को अभिमान कैसा! 
 रास्ता एक ही है
 चाहे तुम आओ या फिर जाओ। 

"परम लक्ष्य"


Poet & Writter
----Raushan Sujit Raat Suraj परम लक्ष्य
मानुष को अभिमान कैसा! 
 रास्ता एक ही है
 चाहे तुम आओ या फिर जाओ। 

"परम लक्ष्य"


Poet & Writter
----Raushan Sujit Raat Suraj परम लक्ष्य