बगैर सोची तोली संगता,मि त्वे अपणी बताणु छौ माया की इखरी स्वास मा,मि त्वेथै ही खोज्याणु छौ कुजणी क्या च त्यारा दिल मा "राज" मन थै बुथेकी सुरक मि,त्वे मा ही माया लगाणु छौ आख़रु मा खपलोल रैंदी तेरी,मि अजाणु सी लेखणु रांदु त्वे फ्योंळी फूल जनी स्वाणी बाँद,मि एक टक्क देखणु रांदु त्वे कविता,शायरी का आड़ मा,मि प्रीत त्वे विगाणु छौ बगैर सोची तोली संगता,मि त्वे अपणी बताणु छौ पैली ज़ब मिल देखि त्वेथे,माया घणाघोर ह्वेगे छै खैरी बिपदा देख्दा ही त्वेथे, लुकी की निचंत सेंगे छै त्यारा सुभौ का पवड़ा मि, चौतरफी सुणाणु छौ बगैर सोची तोली संगता,मि त्वे अपणी बताणु छौ ©Saurabh Raj Sauri त्वे अपणी बताणु छौ 💛