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नीयत तुम्हारे आशिकों की होती है खोटी सनम जब निकलती

नीयत तुम्हारे आशिकों की होती है खोटी सनम
जब निकलती हो शहर में बांधकर चोटी सनम
तुम  शहर  के भट्ठियों की  'मक्खनी तंदूर'  हो
मैं  गाँव के  देशी तवे की  हूँ 'जली रोटी' सनम

--प्रशान्त मिश्रा #"तवे की जली रोटी"
नीयत तुम्हारे आशिकों की होती है खोटी सनम
जब निकलती हो शहर में बांधकर चोटी सनम
तुम  शहर  के भट्ठियों की  'मक्खनी तंदूर'  हो
मैं  गाँव के  देशी तवे की  हूँ 'जली रोटी' सनम

--प्रशान्त मिश्रा #"तवे की जली रोटी"

#"तवे की जली रोटी"