खानाबदोश सी हो गई है जिन्दगी अपनी कहां जाए नहीं है खबर रब की मर्जी है क्या वहीं जाने हम तो हारे हैं तुझसे ऐ जिन्दगी कहां ले जाएगी अपनी किस्मत। खानाबदोश