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हसीन सपना वो दुलारती रही,पुचकारती रही सारी रात चां

हसीन सपना वो दुलारती रही,पुचकारती रही
सारी रात चांद की लोरी सुनाती रही,
चांद की बूढ़ी दादी की कहानी सुनाती रही,
सारी रात संवारती, काले टिक्के लगती रही,
कभी आँचल से ढक लेती,
कभी माथे पर चुम्बन लेती,
माँ थी,
फ़िक्र में रो देती...।
क्या बताएं...इससे हसीन सपना क्या हो सकता है।

#कुमार किशन #सपने में माँ
हसीन सपना वो दुलारती रही,पुचकारती रही
सारी रात चांद की लोरी सुनाती रही,
चांद की बूढ़ी दादी की कहानी सुनाती रही,
सारी रात संवारती, काले टिक्के लगती रही,
कभी आँचल से ढक लेती,
कभी माथे पर चुम्बन लेती,
माँ थी,
फ़िक्र में रो देती...।
क्या बताएं...इससे हसीन सपना क्या हो सकता है।

#कुमार किशन #सपने में माँ