कुछ सवाल तेरे कुछ मेरे पास थे, हिम्मत नहीं थी पर मिलना दोनों चाहते थे, नज़रे तो मिली पर फिर वो फेरा ली गई, मोहब्बत होते होते, मानो छू के गुजर गई, एक एहसास है जो दोनों के जेहन में जिंदा है, मोहब्बत उसे मुझसे और मुझे उससे अभी भी उम्दा है, हालाकि वो मानने को त्यार नहीं है, पर अब साबित कर सकू इतनी हिम्मत मुझ मै भी नहीं है, बिना मुंह खोले ही वो अलविदा कह गई, मै कुछ बोल पाता इससे पहले ही वो ओझल हो गई, आंख मिचौली का सिलसिला बस यहीं थम गया, नम आंखे लिए मै आज फिर उसकी यादों के सहारे सो गया। रात आज की।