रच रही हूं जो रचना । वो कृपा मेरी मां की है। पिरोते जा रही हूं शब्दों की जो माला। वो कृपा मेरी मां की है। जीवन में जिसके कृपा मां बागेश्वरी की होती है । उसके ज्ञानचक्षु खुल जाते हैं। मां शारदे की कृपा से जीवन के अंधकार मिट जाते हैं । कर देती है बागेश्वरी प्रकाशमय जीवन को। हे वीणा वादिनी, हे बागेश्वरी, यूं ही कृपा बनाए रखना । हे सुरों की देवी सुरों के इस संगम को जीवन में बनाए रखना । यह जीवन ज्ञान, संगीत और प्रकाश से प्रकाशित हो। हे वीणापाणी यह कृपा जीवन में बनाए रखना। ©Negi Girl Kammu #Apocalyps मां सरस्वती नमस्तुभ्यं।।