Nojoto: Largest Storytelling Platform

रच रही हूं जो रचना । वो कृपा मेरी मां की है। पिरो

रच रही हूं जो रचना ।
वो कृपा मेरी मां की है।
 पिरोते जा  रही हूं शब्दों की जो माला।
 वो कृपा मेरी मां की है।

जीवन में जिसके कृपा मां बागेश्वरी की होती है ।
उसके  ज्ञानचक्षु खुल जाते हैं।

 मां शारदे की कृपा से जीवन के अंधकार मिट जाते हैं ।
कर देती है बागेश्वरी प्रकाशमय जीवन को।

  हे वीणा वादिनी, हे बागेश्वरी, यूं ही कृपा बनाए रखना ।
हे सुरों की देवी सुरों के इस संगम को जीवन में बनाए रखना ।

यह जीवन ज्ञान, संगीत और प्रकाश से प्रकाशित हो।
  हे वीणापाणी  यह कृपा जीवन में बनाए रखना।

©Negi Girl Kammu #Apocalyps मां सरस्वती नमस्तुभ्यं।।
रच रही हूं जो रचना ।
वो कृपा मेरी मां की है।
 पिरोते जा  रही हूं शब्दों की जो माला।
 वो कृपा मेरी मां की है।

जीवन में जिसके कृपा मां बागेश्वरी की होती है ।
उसके  ज्ञानचक्षु खुल जाते हैं।

 मां शारदे की कृपा से जीवन के अंधकार मिट जाते हैं ।
कर देती है बागेश्वरी प्रकाशमय जीवन को।

  हे वीणा वादिनी, हे बागेश्वरी, यूं ही कृपा बनाए रखना ।
हे सुरों की देवी सुरों के इस संगम को जीवन में बनाए रखना ।

यह जीवन ज्ञान, संगीत और प्रकाश से प्रकाशित हो।
  हे वीणापाणी  यह कृपा जीवन में बनाए रखना।

©Negi Girl Kammu #Apocalyps मां सरस्वती नमस्तुभ्यं।।