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"आजाद हूँ में, हर बंदिशों से, मेरे होंसलो को अब रो

"आजाद हूँ में, हर बंदिशों से, मेरे होंसलो को
अब रोक सकता है, कौन
चारों दिशाए, बेचैन है मुझ से रु .ब .रु होने के
लिए
मुझसे मेरी पहचान को, छीन सकता है कौन"

©पथिक
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