थक गए है अपनों को खोते खोते थक गए है खुद को साबित करते करते थक गए है नफरत, कपट देखते देखते बस थक गए है जख्म तो समझते है पर दाग सहा नहीं जाता ए खुदा भले तेरे दस्तूर है पर हमसे इंसानियत का तमाशा देखा नहीं जाता हां कुछ नहीं है यहां अपना मान लिया है अब बार बार गैर बन ना सहा नहीं जाता! ©Swetaleena #DarkWinters #unspokenthoughts