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भीगी बिल्लियां...! यह मौसम अजबी ही कहर बना हुआ है

भीगी बिल्लियां...!

यह मौसम अजबी ही कहर बना हुआ है,
जो चाहता उसकी है वो अंदर कैद बना हुआ है।
पहले आज़ाद जो इंसान हुआ करता था 
कुछ दिनों से कुदरत के डर से 
एक पंछी बन खुद ही पिजड़े में कैद हुआ है ।

मौसम ने कैद करते ही आईना-ए-यथार्थ से मिला दिया 
शक्तिशाली जो खुद को समझते थे उनको भीगी बिल्ली बना दिया । 

परमाणु, हाइड्रोजन से लेकर जिनकी सफाई चमक मरती थी 
आज एक जुवाणु ने हमारे साथ उनके भी होश उड़ा रखे है। 
                    
  बुद्धि के दम पे जो लोमड़ी बना फिरता था
  कुदरत के बेबफा होने पर चूहा बना फिरता है।

प्रकृति से खिलवाड़ कर अब ऐसे गिर रहे जैसे पेड़ से पत्ते
 है थो बहुत, पर झाड़ू लगाने वाला पास कोई नही बस 
फेवीक्विक के चक्कर में सारा जहाँ परेशान होता गिरता है।
जिसने शुरुआत की वो साफ निकल गए, मास्क,साबुन सेनिटाइजर लगा के ।
           
 अब दुनिया बन रही है गधा कही इकट्ठा होकर तो कही बातें सुनकर। 
 ज़िन्दगी प्यारी है अगर प्यारेलाल तो दूरी बना के रखो   
 सुनलो अभी गौर से हुक्मरानों की बाते "की टिके रहो खटिया पे
 न तो फिर कही नज़र आओ लुटाया में" । भीगी बिल्लियां...!

यह मौसम अजबी ही कहर बना हुआ है,
जो चाहता उसकी है वो अंदर कैद बना हुआ है।
पहले आज़ाद जो इंसान हुआ करता था 
कुछ दिनों से कुदरत के डर से 
एक पंछी बन खुद ही पिजड़े में कैद हुआ है ।
भीगी बिल्लियां...!

यह मौसम अजबी ही कहर बना हुआ है,
जो चाहता उसकी है वो अंदर कैद बना हुआ है।
पहले आज़ाद जो इंसान हुआ करता था 
कुछ दिनों से कुदरत के डर से 
एक पंछी बन खुद ही पिजड़े में कैद हुआ है ।

मौसम ने कैद करते ही आईना-ए-यथार्थ से मिला दिया 
शक्तिशाली जो खुद को समझते थे उनको भीगी बिल्ली बना दिया । 

परमाणु, हाइड्रोजन से लेकर जिनकी सफाई चमक मरती थी 
आज एक जुवाणु ने हमारे साथ उनके भी होश उड़ा रखे है। 
                    
  बुद्धि के दम पे जो लोमड़ी बना फिरता था
  कुदरत के बेबफा होने पर चूहा बना फिरता है।

प्रकृति से खिलवाड़ कर अब ऐसे गिर रहे जैसे पेड़ से पत्ते
 है थो बहुत, पर झाड़ू लगाने वाला पास कोई नही बस 
फेवीक्विक के चक्कर में सारा जहाँ परेशान होता गिरता है।
जिसने शुरुआत की वो साफ निकल गए, मास्क,साबुन सेनिटाइजर लगा के ।
           
 अब दुनिया बन रही है गधा कही इकट्ठा होकर तो कही बातें सुनकर। 
 ज़िन्दगी प्यारी है अगर प्यारेलाल तो दूरी बना के रखो   
 सुनलो अभी गौर से हुक्मरानों की बाते "की टिके रहो खटिया पे
 न तो फिर कही नज़र आओ लुटाया में" । भीगी बिल्लियां...!

यह मौसम अजबी ही कहर बना हुआ है,
जो चाहता उसकी है वो अंदर कैद बना हुआ है।
पहले आज़ाद जो इंसान हुआ करता था 
कुछ दिनों से कुदरत के डर से 
एक पंछी बन खुद ही पिजड़े में कैद हुआ है ।
khnazim8530

Kh_Nazim

New Creator

भीगी बिल्लियां...! यह मौसम अजबी ही कहर बना हुआ है, जो चाहता उसकी है वो अंदर कैद बना हुआ है। पहले आज़ाद जो इंसान हुआ करता था कुछ दिनों से कुदरत के डर से एक पंछी बन खुद ही पिजड़े में कैद हुआ है । #परेशानी #khnazim #कोरोना #लॉकडाउन