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तुम्हें कभी देखा नहीं गुड़िया, तुमसे कभी मिला नहीं

तुम्हें कभी देखा नहीं गुड़िया,
तुमसे कभी मिला नहीं लाडो!

मेरी अपनी दुनिया की अनोखी उलझनों में
और तुम्हारी ख़ुद की थपकियों से गढ़ रही 
तुम्हारी अपनी दुनिया की
छोटी-छोटी सी घटत-बढ़त में,
कभी वक़्त लाया ही नहीं हमें आमने-सामने।

फिर ये क्या है कि नामर्द हथेलियों में पिसीं
तुम्हारी घुटी-घुटी चीख़ें, मेरी थकी नींदों में
हाहाकार मचाकर मुझे सोने नहीं देतीं?
फिर ये क्या है कि तुम्हारा 'मैं जीना चाहती हूं मां' का
अनसुना विहाग मेरे अन्दर के पिता को धिक्कारता रहता है?

तुमसे माफ़ी नहीं मांगता चिरैया!
बस, हो सके तो अगले जनम
मेरी बिटिया बन कर मेरे आंगन में हुलसना बच्चे!
विधाता से छीन कर अपना सारा पुरुषार्थ लगा दूंगा
तुम्हें भरोसा दिलाने में कि
'मर्द' होने से पहले 'इंसान होता है असली पुरुष'
#HATHRAS

©Ritesh Shrivastava #girl #Rape #HathrasRapeCase
तुम्हें कभी देखा नहीं गुड़िया,
तुमसे कभी मिला नहीं लाडो!

मेरी अपनी दुनिया की अनोखी उलझनों में
और तुम्हारी ख़ुद की थपकियों से गढ़ रही 
तुम्हारी अपनी दुनिया की
छोटी-छोटी सी घटत-बढ़त में,
कभी वक़्त लाया ही नहीं हमें आमने-सामने।

फिर ये क्या है कि नामर्द हथेलियों में पिसीं
तुम्हारी घुटी-घुटी चीख़ें, मेरी थकी नींदों में
हाहाकार मचाकर मुझे सोने नहीं देतीं?
फिर ये क्या है कि तुम्हारा 'मैं जीना चाहती हूं मां' का
अनसुना विहाग मेरे अन्दर के पिता को धिक्कारता रहता है?

तुमसे माफ़ी नहीं मांगता चिरैया!
बस, हो सके तो अगले जनम
मेरी बिटिया बन कर मेरे आंगन में हुलसना बच्चे!
विधाता से छीन कर अपना सारा पुरुषार्थ लगा दूंगा
तुम्हें भरोसा दिलाने में कि
'मर्द' होने से पहले 'इंसान होता है असली पुरुष'
#HATHRAS

©Ritesh Shrivastava #girl #Rape #HathrasRapeCase