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मुसाफ़िर ही रहे ताउम्र हम ,जो चाहा वो मिला नहीं और

मुसाफ़िर ही रहे ताउम्र हम ,जो चाहा वो मिला नहीं
और जो मिलेगा उसकी ख्वाहिश नहीं।

बेचैनी नहीं अब सब्र आ रहा है,
 ज़िंदगी के इस मोड़ पर ठहरने को जी चाह रहा है।।

©manju Ahirwar
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