झूँठ-झूँठ चिल्ला रहे,झूँठों के सरताज। झूँठा जिसे बता रहे,हो जायेगी खाज।। हो जायेगी खाज,प्रभू की महिमा अइसी। ज्यादा झूँठ न बोल,होय फिर ऐसी तैसी।। झूँठ-झूँठ पर झूँठ,कभी भी टिका रहे ना। सिक्का-सिक्का होय,खोट का कभी चले ना।। भारत भूषण झा"भरत"