ज़िन्दगी का खेल निराला है दुख सुख का पिटारा है एक बात समझ में आ गई पैसों का ही बोलबाला है यहां खुशी भी पैसों से खरीदी जाती है ओर गम भी पैसों की कमी से आता है लड़ लेते हैं लोग अपनो से तब कोई रिश्ता समझ नहीं आता है ना जाने कितनो की ज़िन्दगीयो से खेलेगा ये कागज का टुकड़ा क्या बदलेगी ये दुनिया या फिर मुझे बदलना होगा ©VINAY PANWAR 🇮🇳INDIAN ARMY💕💕 Neha Nautiyal