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दिल को जो माहताब लगता है । इश्क़ की इक किताब लगता

दिल को जो माहताब लगता है ।
इश्क़ की इक किताब लगता है ।।

 तुम्हारे , हुस्न  का , ये  जादू  है ।
 सादा  पानी , शराब  लगता है ।।

जब भी देखूँ , मैं तेरे ,चेहरे को ।
ताज़ा,ताज़ा, गुलाब  लगता है ।।

तेरा आशिक़, तिरा दिवाना  हूँ ।
दूर  रहना  अज़ाब,  लगता  है ।।

तेरी हर एक अदा , क़ातिल है ।
और क़यामत शबाब,लगता है ।।

तेरी ऑखों में वो,कशिश है कि।
 नक़ाब  बे  नक़ाब , लगता  है ।।

ग़म केमौसम का,तसव्वुर"सानी।
सबके दिल को,ख़राब लगता है।।
(Md Shaukat Ali "saani") चेहरा तेरा महताब लगता है।
दिल को जो माहताब लगता है ।
इश्क़ की इक किताब लगता है ।।

 तुम्हारे , हुस्न  का , ये  जादू  है ।
 सादा  पानी , शराब  लगता है ।।

जब भी देखूँ , मैं तेरे ,चेहरे को ।
ताज़ा,ताज़ा, गुलाब  लगता है ।।

तेरा आशिक़, तिरा दिवाना  हूँ ।
दूर  रहना  अज़ाब,  लगता  है ।।

तेरी हर एक अदा , क़ातिल है ।
और क़यामत शबाब,लगता है ।।

तेरी ऑखों में वो,कशिश है कि।
 नक़ाब  बे  नक़ाब , लगता  है ।।

ग़म केमौसम का,तसव्वुर"सानी।
सबके दिल को,ख़राब लगता है।।
(Md Shaukat Ali "saani") चेहरा तेरा महताब लगता है।
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Saani

Bronze Star
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