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अब तो दर्द की तासीर भी भूल चुके हैं हम खुशियां होत

अब तो दर्द की तासीर भी भूल चुके हैं हम
खुशियां होती हैं क्या अब यह मालूम नहीं
दर्द से ही रिश्ता हो गया है अपना अब तो
क्योंकि दर्द से ही अब जीने का एहसास होता है @विभूति गोण्डवी
अब तो दर्द की तासीर भी भूल चुके हैं हम
खुशियां होती हैं क्या अब यह मालूम नहीं
दर्द से ही रिश्ता हो गया है अपना अब तो
क्योंकि दर्द से ही अब जीने का एहसास होता है @विभूति गोण्डवी