फ़िक्र जाती नहीं जहन से ... ज़िक्र जाता नहीं जुबां से... ए मेरे दिल को आबाद करने वाले... गुजरते हैं हम रोज तेरी यादों के सफ़र से... अरसा हुआ है नज़र भर ... देखें तुझे बा खुदा... हो सके तो एक मुलाक़ात कर... अपने इस मुफ़लिस से... ... तृप्ति #मुफ़लिस