मैं सरल होना चाहता था वो अच्छा खिलाड़ी निकला, पेशवा था दिल का जो जि़दांन का हुक्मरान निकला, रक़्स ए बाइ'स कुर्बान निकहत ए मोहब्बत में गुम हम, वो क़ातिल नज़र का हमारा अवल आदिल निकला, प्रेम धुन में खोए हम गाफिल थे मोहब्बत के अंजाम से, जाइल ए रिश्ते कर वो सच्चा फरेबी बातिल निकला, हम तो घने लम्बे काकुल को काली घटा समझ रहे थे, दिल का सकून जो बाइ'स ए दिल ए शिकन निकला, मोहब्बत के इश्म का सुंदर फूल समझा 'रोज़ी' जिसको, पासबाँ था जो कभी आज वो हमारा निहां रकीब निकला। ♥️ Challenge-611 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।