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#वो_बेइंतेहा_पसंद_थी किसी ज़माने में तुम पसंद थी

#वो_बेइंतेहा_पसंद_थी 

किसी ज़माने में तुम पसंद थी मुझे... तुम मुँह पर दुप्पट्टा बाँध कर मोहल्ले वाली दुकान पर कुछ सामान लेने जाती थी तो बालकनी में खड़े होकर मैं कभी अपनी किस्मत को कोसता  तो कभी तुम्हारे उस दुप्पट्टे को ....
तुम्हारी  पार्क में खेलते अपने छोटे भाई को लगाई  उस आवाज़ का मैं दीवाना था... तुम्हारे घर के सामने से गुजर कर तुम्हे देखने लिए ना जाने कितनी जेल पेन की रिफिल, कितने बॉल पेन, कितनी स्केल, रबर, कटर खरीद डाली मैंने... पानी भरने का टाइम भी फिक्स हो गया था...वो केंट RO सबसे शुध्द पानी का ज़माना नहीं था और नाही अक्वागार्ड का...वरना ना जाने कितनी दफे तुम्हे देखने से रह जाता 

लेकिन अब मुझे तुम्हारे होंठो पर लिपिस्टिक ज़्यादा लगती हैं... आड़े टेढ़े पोज़ में खिचाई हुई फोटो को देख कर मन में "बंदरिया" बोलता हूँ और खूब हसता हूँ ... तुम्हारी हनीमून पर शिमला जाने को मैंने too मेनस्ट्रीम बोल के खारिज भी कर दिया... और तुम्हारा पति मुझे जेठालाल से भी ज़्यादा बेचारा लगता हैं... तुम्हारा मोटा हो जाना सुकून का कारण हैं... और तुम्हारे नाम वाली हीरोइन की कोई मूवी न देख कर मैं बदला पूरा करता रहता हूँ... 

लेकिन पता हैं अब फिर से एक लड़की के लिए दीवाना हूँ..उसको भी पसंद करता हूँ.. वो भी इस वक़्त दिमाग से नहीं निकलती...शायद एक वक़्त आए जब वो भी मुझे तुम्हारे जैसी लगने लगे...उसके भी लिपस्टिक के शेड्स मुझे ज्यादा ही डार्क लगने लगे.. आँखों में सर्कल्स दिखे.. और उसके नाम की भी कोई हीरोइन आए...

#वो_बेइंतेहा_पसंद_थी किसी ज़माने में तुम पसंद थी मुझे... तुम मुँह पर दुप्पट्टा बाँध कर मोहल्ले वाली दुकान पर कुछ सामान लेने जाती थी तो बालकनी में खड़े होकर मैं कभी अपनी किस्मत को कोसता तो कभी तुम्हारे उस दुप्पट्टे को .... तुम्हारी पार्क में खेलते अपने छोटे भाई को लगाई उस आवाज़ का मैं दीवाना था... तुम्हारे घर के सामने से गुजर कर तुम्हे देखने लिए ना जाने कितनी जेल पेन की रिफिल, कितने बॉल पेन, कितनी स्केल, रबर, कटर खरीद डाली मैंने... पानी भरने का टाइम भी फिक्स हो गया था...वो केंट RO सबसे शुध्द पानी का ज़माना नहीं था और नाही अक्वागार्ड का...वरना ना जाने कितनी दफे तुम्हे देखने से रह जाता लेकिन अब मुझे तुम्हारे होंठो पर लिपिस्टिक ज़्यादा लगती हैं... आड़े टेढ़े पोज़ में खिचाई हुई फोटो को देख कर मन में "बंदरिया" बोलता हूँ और खूब हसता हूँ ... तुम्हारी हनीमून पर शिमला जाने को मैंने too मेनस्ट्रीम बोल के खारिज भी कर दिया... और तुम्हारा पति मुझे जेठालाल से भी ज़्यादा बेचारा लगता हैं... तुम्हारा मोटा हो जाना सुकून का कारण हैं... और तुम्हारे नाम वाली हीरोइन की कोई मूवी न देख कर मैं बदला पूरा करता रहता हूँ... लेकिन पता हैं अब फिर से एक लड़की के लिए दीवाना हूँ..उसको भी पसंद करता हूँ.. वो भी इस वक़्त दिमाग से नहीं निकलती...शायद एक वक़्त आए जब वो भी मुझे तुम्हारे जैसी लगने लगे...उसके भी लिपस्टिक के शेड्स मुझे ज्यादा ही डार्क लगने लगे.. आँखों में सर्कल्स दिखे.. और उसके नाम की भी कोई हीरोइन आए... #Books #राज

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