समाज की नज़रों में प्रेम की कोई जात नहीं तो क्यों इस नियम की नौकरी पाने में कोई औकात नहीं मैं सामान्य वो आरक्षित इसका पैमाना जात क्यों जाती व्यवस्था से हो रहा विकास तो एक करने की बात क्यों ©Kunwar Vimal Singh #आरक्षण