रे मन, समझ न, नादान मत बन🙃 संसार के सुख, तुम चाहे कितने भोग लो, इन भोगों में तुम, स्वयं को कितना लोभ दो, छूट जायेंगे एक दिन, देखना हाथ मलते रह जाओगे, स्वयं छोड़ देने के सुख से, निश्चित वंचित रह जाओगे,