रूह के मिलन की चाहत नहीं किसी को यहाँ "जिस्म" पर तो पूरी दुनिया ही मरती है यहाँ "मोहब्बत" का तो सिर्फ़ शोर ही होता है यहाँ "जिस्म" तो आजकल इश्क़ की इबादत यहाँ "प्रेम" सबको चाहिए "राधा-कृष्ण" सा यहाँ राधा-कृष्ण बनने की "चाहत" किस में है यहाँ इबादत ख़ुदा की रूह का 'प्रेम" होता है वहाँ आत्मा से आत्मा के मिलन की "चाहत" जहाँ ♥️ Challenge-623 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।