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हवा को जोन्का भि कितना बेरहम निकला, आशियाना किसी क

हवा को जोन्का भि कितना बेरहम निकला,
आशियाना किसी का उजाड़ गया,
अंजुमन से जमीन पर ले आया,
थप्पड़ मुंह पर जड़ गया,
अरे उस कबुतर का जिगर तो देखो,
बाज से वो लड़ गया,

सान्वन के मोसम मे देखो,
एक पता डाल् से मड़ गया,
लोग कहते हैं देखो तुमरा लड़का 
भी बिगड़ गया,
जवानी के बहकावे में आकर,
बचपन सड़को पर उजाड़ गया,

जिसे भी हमसफ़र कहा,
उस्का कुछ रवैया ही उखड़ गया,
उसे नजरन्दाज करने कि आदत है,
थोड़ा ईस बात से भी चीड़ गया,

मै उस्का ही हूँ उसे ईस बात का गुरुर था,
हमराही मैं क्या करता उसे रुश्वाई मंजुर है,
बस ईस लिये मैं उससे,
थोड़ा सा बीछड गया,

©Karan chauhan हवा को जोन्का भि कितना बेरहम निकला,
आशियाना किसी का उजाड़ गया,
अंजुमन से जमीन पर ले आया,
थप्पड़ मुंह पर जड़ गया,
अरे उस कबुतर का जिगर तो देखो,
बाज से वो लड़ गया,

सान्वन के मोसम मे देखो,
हवा को जोन्का भि कितना बेरहम निकला,
आशियाना किसी का उजाड़ गया,
अंजुमन से जमीन पर ले आया,
थप्पड़ मुंह पर जड़ गया,
अरे उस कबुतर का जिगर तो देखो,
बाज से वो लड़ गया,

सान्वन के मोसम मे देखो,
एक पता डाल् से मड़ गया,
लोग कहते हैं देखो तुमरा लड़का 
भी बिगड़ गया,
जवानी के बहकावे में आकर,
बचपन सड़को पर उजाड़ गया,

जिसे भी हमसफ़र कहा,
उस्का कुछ रवैया ही उखड़ गया,
उसे नजरन्दाज करने कि आदत है,
थोड़ा ईस बात से भी चीड़ गया,

मै उस्का ही हूँ उसे ईस बात का गुरुर था,
हमराही मैं क्या करता उसे रुश्वाई मंजुर है,
बस ईस लिये मैं उससे,
थोड़ा सा बीछड गया,

©Karan chauhan हवा को जोन्का भि कितना बेरहम निकला,
आशियाना किसी का उजाड़ गया,
अंजुमन से जमीन पर ले आया,
थप्पड़ मुंह पर जड़ गया,
अरे उस कबुतर का जिगर तो देखो,
बाज से वो लड़ गया,

सान्वन के मोसम मे देखो,