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कागज़ था कलम थी स्याही और दवात थी... लबों पे उसका न

कागज़ था कलम थी स्याही और दवात थी...
लबों पे उसका नाम मानो सबसे हसीन रात थी...
दिल में उसकी बहकी- बहकी शामों का लुफ्त था.... 
वो भी तो ज़मना था वाह् क्या बात थी!

©Yash Bansal
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