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आज की रात आज की रात गहरी है बहुत हो सके तो कोई र

आज की रात

आज की रात गहरी है बहुत
 हो सके तो कोई राज़ दबा लो....
न किसी मज़बूर के अश्क दिखेंगे 
न दिखेंगी कुटिल मुस्कराहटें
 न कोई आता जाता कोई ताना देगा
 न शातिर वक़्त अफसाना बुनेगा !!
आज की रात गहरी है बहुत
 हो सके तो कोई राज़ दबा लो....
दबा लो दिल में उठते तूफ़ानों को
 दबा लो जहन में दौड़ते अरमानों को 
चेहरों पर चेहरे नहीं
 मगर स्याह एक नकाब है.... 
चाहो तो तुम छुपा लो
उन दम तोड़ चुके जिंदा इंसानों को ....
आज की रात गहरी है बहुत
 हो सके तो कोई राज़ दबा लो....

©Rakesh Kumar Das
  आज की रात #

आज की रात # #कविता

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