इन्कलाब तेरे भीतर, इन्कलाब मेरे भीतर बदलती सूरत रोज़, सीरत क्यूं बदलती नहीं? सरकार यहां हिन्दू, मुसलमान की चलती इंसानों की सरकारें, क्यूं चलती नहीं ? #इन्कलाब #वत्स #vatsa #dsvatsa #illiteratepoet #yqhindi #yqquotes