शहीद कविता वचा कोई नही होता फ़टी छाती नही होती वहाँ गोली चली होती यहाँ लाशें बिछी होती कभी बन कर वहाँ साया कभी मौत चलती है कभी तो धुप होती है कभी तो रेत जलती है कभी भूखें कभी प्यासे कभी सोते नही हैं बो कभी हो कर अकेले हौसला खोते नही है बो अगर ऐसी वहाँ पर रात दिन गुज़री नही होती वहाँ गोली चली होती यहाँ लाशें बिछी होती ©Sajid शहीद कविता