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शहीद कविता वचा कोई नही होता फ़टी छाती नही होती वहा

शहीद कविता

वचा कोई नही होता फ़टी छाती नही होती
वहाँ गोली चली होती यहाँ लाशें बिछी होती

कभी बन कर वहाँ साया कभी मौत चलती है
कभी तो धुप होती है कभी तो रेत जलती है
कभी भूखें कभी प्यासे कभी सोते नही हैं बो
कभी हो कर अकेले हौसला खोते नही है बो

अगर ऐसी वहाँ पर रात दिन गुज़री नही होती
वहाँ गोली चली होती यहाँ लाशें बिछी होती

©Sajid शहीद कविता
शहीद कविता

वचा कोई नही होता फ़टी छाती नही होती
वहाँ गोली चली होती यहाँ लाशें बिछी होती

कभी बन कर वहाँ साया कभी मौत चलती है
कभी तो धुप होती है कभी तो रेत जलती है
कभी भूखें कभी प्यासे कभी सोते नही हैं बो
कभी हो कर अकेले हौसला खोते नही है बो

अगर ऐसी वहाँ पर रात दिन गुज़री नही होती
वहाँ गोली चली होती यहाँ लाशें बिछी होती

©Sajid शहीद कविता
sajid7110318212277

Sajid

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