दिलों में आग लबों पर गुलाब रखते हैं सब अपने चेहरों पे दोहरी नक़ाब रखते हैं,, हमें चिराग़ समझ कर बुझा न पाओगे हम अपने घर में कई आफ़ताब रखते हैं,, बहुत से लोग कि जो हर्फ़-आशना भी नहीं इसी में ख़ुश हैं कि तेरी किताब रखते हैं,, ये मय-कदा है वो मस्जिद है वो है बुत-ख़ाना कहीं भी जाओ फ़रिश्ते हिसाब रखते हैं,, हमारे शहर के मंज़र न देख पाएँगे वो यहाँ के लोग तो आँखों में ख़्वाब रखते हैं.!! ©ᴋʜᴀɴ ꜱᴀʜᴀʙ #लबों_पर_गुलाब_रखते_हैं... poetry in hindi poetry in english hindi poetry on life love poetry for her