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उठे हैं जैसे नींद से सोए हुए थे सालों से आंखों पर

उठे हैं जैसे नींद से
सोए हुए थे सालों से
आंखों पर पर्दा डाले
दिखा ही नहीं की कोई फरिश्ता साथ है
बस यूं ही खोजते रहे कोई अपना भीड़ में 
 जिन में थे सभी मुखौटे वाले

©Dr  Supreet Singh
  #ढूंढते_रहे_देखा_नहीं_जो_पास_ही_था