मुझे याद नहीं, मगर एहसास होता है...... माँ (Full Poem in CAPTION) क्या खूब लम्स रहा होगा वो भी, कभी माथे पर, कभी पेट पर, शायद हाथ फेरा होगा कहीं, या भूख हल्की करी होगी मेरी..... मुझे याद नहीं, मगर एहसास होता है। कोई क़र्ज़ बाक़ी लगता है कभी, जिसे वापस माँ लेती ही नहीं,