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दर भदर भटकती राहो ने मंजिल ली है वो क्या

दर  भदर  भटकती  राहो  ने  मंजिल 
ली  है 
वो  क्या  जाने 
आज़ादी  की  कीमत 
जिन्होंने  शुरुआत  
असफलता  से  की  है 
हौसलो  की  पहचान 
ना  ज़िन्दगी ने  दी  है 
रोज  सुबह  उड़ते  
ज़िन्दगी  एक  नई  है 
बेगैरत ही  सही 
ज़िन्दगी तो  ज़ी  है 
उम्मीद  उड़ानों  की 
हर  राह पर  दी  है 
ज़िन्दगी  नाकामयाब ही सही
 आजदी की मांग तो की है
 झूठी ही सही
 जान सता ने ली हैं
मांग कर अधिकार अपने
 गुस्ताखियां की है

देकर अपने हिस्से की जान
मांग शहादत की है।


justice for Bhagat Singh

©Writer Geeta Sharma fan of bhagat singh

#Shaheedi_diwas
दर  भदर  भटकती  राहो  ने  मंजिल 
ली  है 
वो  क्या  जाने 
आज़ादी  की  कीमत 
जिन्होंने  शुरुआत  
असफलता  से  की  है 
हौसलो  की  पहचान 
ना  ज़िन्दगी ने  दी  है 
रोज  सुबह  उड़ते  
ज़िन्दगी  एक  नई  है 
बेगैरत ही  सही 
ज़िन्दगी तो  ज़ी  है 
उम्मीद  उड़ानों  की 
हर  राह पर  दी  है 
ज़िन्दगी  नाकामयाब ही सही
 आजदी की मांग तो की है
 झूठी ही सही
 जान सता ने ली हैं
मांग कर अधिकार अपने
 गुस्ताखियां की है

देकर अपने हिस्से की जान
मांग शहादत की है।


justice for Bhagat Singh

©Writer Geeta Sharma fan of bhagat singh

#Shaheedi_diwas

fan of bhagat singh #Shaheedi_diwas